1 अक्तू॰ 2015

एक मासूम-सी बेटी

प्यारे पापा, जब मैं हॉस्पिटल में एडमिट हुई तब मुझे सांस लेने में परेशानी थी, ब्लड प्रेशर भी कम था और गुर्दे भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे, लेकिन अब मैं कुछ ठीक महसूस कर रही हूं। मशीनों से भी तो आजादी मिल गई मुझे।   सबसे अच्छा तब लगा जब आपने मुझे गुरूवार की सुबह कई दिन बाद आपने गोद में लिया। यहां आईसीयू में नर्सेज आपस में बात करती हैं और कहती हैं कि बेटी से भी कोई इतना प्यार कैसे कर सकता है? तब मन ही मन मुस्कराती हूं और सोचती हूं कि वाकई मैं कितनी खुशकिस्मत हूं।

मुझे जन्म देने वाली मां का प्यार तो नसीब नहीं हुआ, लेकिन आपने हर कमी पूरी की।

आपके पास पैसे नहीं थे, इस वजह से मुझे स्लिंग में अपनी गर्दन में लटकाकर रिक्शा चलाया, लेकिन मैं छोटी हूं ना मौसम का यह मिजाज सह नहीं पाई और बीमार हो गई।

मेरी बीमारी में आप कितना परेशान हुए। आपकी परेशानी प्रार्थना बनकर भगवान के दर पहुंची और देखो, उसका प्रभाव आज आपके सामने है। डॉक्टर अंकल ने बताया ना कि मेरा वजन भी बढकर 1735 ग्राम हो गया है।

बस, अब कुछ दिन की ही बात है। ये फंगल इंफेक्शन भी ठीक हो जाएंगे, फिर हम अपने घर चलेंगे। पैसों की परेशानी तो लोगों की मदद से अब दूर हो गई ना पापा। मैं भी बड़ी होकर पढ़ूंगी-लिखूंगी। शुक्रिया उन सभी लोगों को जिन्होंने मेरे पापा की मदद की और मेरे लिए प्रार्थना।

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