फिर इनकी आड़ मैं यह इंसान जलाते है
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जब देखा फ़ैल रही है भाईचारे मशालें यहाँ
फिर यह नफरतों के चुभते बाण चलाते है
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लड़ाकर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मैं
फिर भी नस्लों मैं भेड़िये यह इंसान कहलाते है
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गए नहीं कभी मंदिर मस्जिद की चोखट पर
अपना ही धर्म सबसे से ऊँचा हमको सिखलाते है
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इतने मैं ना हुआ इनका मकसद पूरा तो
फिर यह दुष्ट गीता और कुरान जलाते है
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फिर ले जाकर इन मुद्दों को संसद तक "राज"
फिर ले जाकर इन मुद्दों को संसद तक "राज"
वहां भी लगता है जैसे हैवान चिल्लाते है
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.............................................MJ deshwali ( RAAJ )
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